Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज


Home remedies for rainy diseases
बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज 
            
   रसात से मौसम सुहाना हो जाता है| शरीर को जलाने वाली धूप का असर माहौल में नमी के कारण हल्का पड़ जाता है| बरसात में एक तरफ सुहाने मौसम की बाहर होती है, तो दूसरी ओर इस मौसम में जोड़ों का दर्द, दमा, त्वचा रोग, एलर्जी और वायरल का प्रकोप सबसे ज़्यादा होता है| जोड़ों का दर्द, दमा, त्वचा रोग और एलर्जी से पीड़ित लोग पहले से ही दवाएं ले चुके हैं, थोड़ी मात्रा और बढ़ा कर अपनी तकलीफ दूर कर लेते हैं, परंतु इस मौसम के बुखारों की चपेट में आने से आदमी टूट जाता है|
 सावन-भादों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड बुखार का प्रकोप ज़्यादा होता है|” प्रायः वायरल बुखार में अंतर करना आसान है| टाइफाइड बुखार दिन में कुछ हल्का यानी लगभग 100 से 101 डिग्री रहता है और रात में 102-104 डिग्री तक पहुंच जाता है| साथ ही नब्ज की रफ्तार में कमी आ जाती है| जबकि वायरल बुखार डेंगू, चिकनगुनिया और इन्सेफलाइटिस में प्रायः 101-104 डिग्री या 106 डिग्री तक बुखार हो जाता है और नब्ज की रफ्तार भी तेज होती है|

 बरसाती बीमारियों से बचाव के घरेलू उपाय
Home remedies to prevent rainy diseases
  बरसाती बीमारियों से बचने के लिए साफ पानी तथा ताजा खाना खाना चाहिए और अपने आस पास मच्छरों को न तो पनपने देना चाहिए और ना ही उन्हें काटने देना चाहिए|
 
बरसाती बीमारियों के घरेलू इलाज
Home remedies for rainy diseases
   बरसाती बीमारियो का इलाज काफी हद तक आप अपने घर में कर सकते हैं| कुछ उपयोगी नुस्खे हैं जिनको आप आजमा सकते हैं, आइए जानते हैं उन नुस्खों (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) के बारे में--
1.   बुखार में बुखार उतारने के लिए पानी की गीली पट्टी करनी चाहिए और बुखार उतारने की दवा देनी चाहिए| ध्यान रहे, चूंकि डेंगू बुखार में नाक-मसूढ़ों, लैट्रीन और उल्टी के साथ खून बहने का खतरा रहता है इसलिए एस्प्रीन नामक दवा डेंगू के मरीज को कतई नहीं देनी चाहिए| एस्प्रीन की गोलियों से खून बहने का खतरा बढ़ जाता है|
      



2.   गिलोय के पत्ते, तुलसी के पत्ते, लौंग और कालीमिर्च युक्त चाय बिना दूध के देना मरीज के लिए लाभदायक होता है| बुखार में भोजन बहुत सादा होना चाहिए| सादी मूंग की दाल और चपाती, दलीया, साबूदाना की खीर मरीज के लिए उपयुक्त होती है|
 खाकसी, चोकर, लिसोढ़ा, कालीमिर्च का जोशांदा बनाकर सुबह-शाम 5-7 दिन तक सेवन करें, जो हर किस्म के वायरल बुखार में (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) उपयोगी होता है| जोशांदा बनाने का उचित तरीका है- “सभी जड़ी-बूटियों को पानी में अच्छी तरह उबालें, जब पानी आधा या एक तिहाई रह जाए तो उसे छानकर चाय की तरह हल्का गर्म सेवन करें|”
 
  बरसात में भोजन संबंधी सलाह
Rainy food advice
    बरसात का मौसम शुरू होते ही बीमार होने के खतरे कई गुना बढ़ जाते हैं इसलिए इन दिनों सेहत पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है| बरसात मे भीगने पर खाँसी और जुखाम, बुखार हो सकता है| इसके अलावा पेट से संबन्धित बीमारियाँ और हेपेटाइटिस होने के खतरे बढ़ जाते हैं| यह तमाम बीमारियाँ दूषित भोजन और पानी से फैलती हैं| इसलिए इन दिनों अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है| हमें अपने खान-पान पर निम्नलिखित तरह से (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) ध्यान देना चहिए-
(1)—अदरक, कालीमिर्च और
लालमिर्च इन दिनों खाने में जरूर शामिल करना चाहिए| छोटी इलायची और बड़ी इलायची, अदरक सर्दी और जुखाम से बचाव (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज)  करने में सहायक होते हैं| इसके अलावा भोजन में मसालों का ज़्यादा प्रयोग भोजन में पौष्टिकता के स्तर को तो बढ़ाता ही है, इसके अलावा इस मौसम में यह गर्मी भी देते हैं| इनमे एंटी-माइक्रोबायल तत्व होते हैं जो हमें बीमारियों से बचाते हैं|
 (2)- बरसात के मौसम में कच्चे फल और सब्जियाँ, सलाद खाने से बचना चाहिए| क्योंकि इन दिनों आद्र मौसम के कारण बैक्टीरिया बढ्ने की संभावना बढ़ जाती है| इसलिए इन्हें खाने से पहले खूब अच्छी तरह साफ पानी मे धोना चाहिए या उबालकर ही खाना चाहिए|
 (3)- इन दिनों (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) चाय ब्लैक हो या ग्रीन वह शरीर को नयी ताजगी देती है और हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है|
 (4)- बरसात के दिनों में हवा में अधिक नमी के कारण भोजन जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए भोजन को खराब होने से बचाने के लिए इसे अच्छे ढंग से उचित तापमान पर स्टोर करना चाहिए| बरसात में मौसम ठंढा होने के कारण लोगो को लगता है की भोजन को बाहर रखा जा सकता है जबकि इन दिनो हवा गर्म और नमी से भरी रहती है जो भोजन में बैक्टीरिया के पनपने के अनुकूल होती है| यही वजह है की इन दिनों तुलना में भोजन जल्दी खराब हो जाता है| इसलिए (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज)  भोजन को ठंढे जगह पर रखे और खाने से पहले उसे तेज आंच पर गर्म जरूर करें|
 (5)- बरसात मे ठंढक बढ़ जाती है इसलिए सुबह के समय दूध या चाय में चीनी की जगह
शहद का स्तेमाल कर सकते हैं| इससे शरीर में गर्माहट पैदा होती है और भीगने के बाद भी खांसी-जुखाम होने की आशंका कम हो जाती है|
 (6)- बरसात के दिनों में इस तरह के फल व सब्जियाँ खाई जानी चाहिए जिनमें कड़कपन हो और जो ताजी हों|
 (7)- बरसात में भुट्टा खाने का पूरा आनंद उठाना चाहिए|
(Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) भुट्टा चाहे भुना हो या रेत  में पका या फिर उबला हुआ किसी भी तरह का भुट्टा इस मौसम में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है|
 (8)- बरसात में सर्दी, जुखाम और लू से बचने के लिए (Home remedies for rainy diseases/बरसाती बीमारियों का घरेलू इलाज) अदरक, कालीमिर्च की चाय
पिये या भोजन में इन्हें ज़्यादा से ज़्यादा स्तेमाल करें|
 (9)- फ्रूट जूस में इन दिनों बैक्टीरिया पैदा होने की गुंजाइश कई गुना बढ़ जाती है इसलिए इन्हें पीने से पेट खराब हो सकता है| हवा में नमी के कारण ये बहुत जल्दी खराब होते हैं
इसलिए अगर जूस पीना चाहें तो ताजा जूस ही पिये|
 (10)- बरसात के दिनों में बाजार में मिलने वाले
कटे फल ना खाएं| इसके अलावा कच्ची सब्जियों से बने सैंडविच खाने से पूरी तरह परहेज करें| यह खुले में रखे होने के कारण इन्फेक्शन का कारण हो सकते हैं|
 अपने खान-पान मे इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आप बरसात में होने वाली बीमारियो से बच सकेंगे|
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