Home Remedies for Joint Pain "Nirgundi"/जोड़ दर्द का घरेलू इलाज "निर्गुंडी"



Home Remedies for Joint Pain "Nirgundi"
जोड़ दर्द का घरेलू इलाज “निर्गुण्डी” 
                    
वायुजन्य रोगों को वातव्याधि कहते हैं| वातव्याधि को मिटाने के लिए निर्गुण्डी नामक वनस्पति अद्भुत कार्य करती है| निर्गुण्डी से 80 प्रकार की वातव्याधि मिटती हैं|

 निर्गुण्डी
समान्यतः हमारे देश में सभी जगह अथवा सभी प्रदेशों में निर्गुण्डी का वृक्ष पाया जाता है| बाग, बाड़ी, निवास स्थानके आँगन में भी इसको उगाया जाता है| निर्गुण्डी को सम्भालुभी कहते हैं| इसका लैटिन नाम “वाइटिक्स निगंडो” है|
 
जोड़ दर्द का घरेलू इलाज निर्गुण्डी के प्रकार
निर्गुण्डी अर्थात सम्भालु दो प्रकार के होते हैं-
1- नील पुष्पी, 2- श्वेत पुष्पी|
नील पुष्पी को निर्गुण्डी और स्वेत पुष्पी को सिन्दुबार कहते हैं|

जोड़ दर्द का घरेलू इलाज निर्गुण्डी के गुण
 यह लघु और रुक्ष है, विपाक कटु है| उपरांत यह तिक्त, कटु और कषाय और उषनवीर्य है|

जोड़ दर्द का घरेलू इलाज निर्गुण्डी के कार्य

निर्गुण्डी की तासीर गर्म होने की वजह से यह कफ और वायु दोष की शमन करती है, अर्थात कफजन्य (सर्दी-जुखाम) और वायुदोषजन्य सभी रोगों में उपयोगी है| यह वेदनास्थापन (दर्द नाशक), शोथहर (सूजन खत्म करने वाला), व्रणशोधन, व्रणरोपण, केश्य एवं जंतुघन्य होने से इसका वाह्य प्रयोग सफलतापूर्वक होता है| शिर:शूल, वृषण की सूजन, संधिसोथ( जोड़ों की सूजन) और आमवात आदि वेदना प्रधान रोगों में निर्गुण्डी के पत्तों को गर्म कर वेदनास्थान (दर्द वाले) पर बांधा जाता है| इसके अतिरिक्त गर्भाशय की सूजन, आंत्रशूल, व्रशन शोथ, गुदा सोथ आदि मे इसके क्वाथ से कति स्नान कराया जाता है| गले में दर्द एवं मुंह आना या छाले होने में इसके क्वाथ का कुल्ला कराया जाता है|इसके शुष्कपान का धूम्रपान करने से शिर दर्द तथा जुखाम मिटते हैं| निर्गुण्डी के तेल को घाव पर लगाने से जख्म जल्दी ठीक हो जाते हैं| यदि कोई कान का रोग है तो निर्गुण्डी का तेल उसमे अति उपयोगी होता है| निर्गुण्डी के तेल के उपयोग से सफ़ेद बल काले हो जाते हैं|
 निर्गुण्डी के पत्तों को जल के साथ गर्म कर इसको दर्द वाले स्थान पर बांध कर इसके ऊपर सेंक करने से दर्द शीघ्र दूर हो जाता है|

जोड़ दर्द का घरेलू इलाज निर्गुण्डी का आंतरिक प्रयोग  
 निर्गुण्डी वायुनाशक होने से वेदना का नाश करती है, और मेध्य होने से इसका प्रयोग सिरदर्द, गृध्रसी अर्थात सायटिका, आमवात और संधिवात (जोड़ों के रोग) आदि वेदना प्रधान रोगो मे होता है|

जोड़ दर्द का घरेलू इलाज निर्गुण्डी का उपयोग  
ü पक्षाघात व लकवा, आमवात, सायटिका, अद्रित जैसे वातव्याधि में निर्गुण्डी तेल की मालिश कर इसके पत्तों का वाष्प स्वेद (नाड़ी स्वेद) के रूप में करने से लाभ होता है, एवं इसके पत्तों का स्वरस पीने से, इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से सायटिका जैसी व्याधि मिटती हैं| त्वचा पर जख्म हुआ हो और न मिटता हो तब इसके तेल द्वारा ड्रेसिंग करने से जख्म मिट जाता है|
ü वर्तमान समय मे कटिशूल (कमर दर्द) अधिक होता देखा जाता है| वायुदोष के कारण ही कमर दर्द होता है| कमर दर्द के रोग में निर्गुण्डी के पत्तों का सेंक करने से और एरण्ड तेल के साथ निर्गुण्डी का स्वरस पीने से बहुत ही लाभ होता है| इस प्रयोग से अन्य वातव्याधि भी मिटती हैं|
ü  निर्गुण्डी जन्तुनाशक होने से अंदरूनी व बाहरी सभी प्रकार के विषाणु, रोगाणु इससे दूर होते हैं|यदि कृमि है तो इसके पत्तों का स्वरस पीने सेयह ऋग मिट जाता है|
ü  वातावरण में अनेक प्रकार के अति सूक्ष्म विषैले जन्तु विचरण करते हैं, ऐसे जंतुओं को दूर करने के लिए निर्गुण्डी के पत्तों का धुआं बहुत ही उपयोगी है| आपके आँगन में में इसका वृक्ष होगा तो इसके आस-पास ऐसे जन्तु पैदा नहीं होंगे, यदि होंगे तो दूर हो जाएंगे| इस प्रकार निर्गुण्डी से पर्यावरण की शुद्धि भी होती है|
ü  वर्षा ऋतु के दौरान मलेरिया की अधिकता देखि जाती है| मलेरिया ज्वर को मिटाने के लिए निर्गुण्डी उपयोगी मानी गयी है|
ü निर्गुण्डी के पत्तों से घनवटी का निर्माण किया जाता है| इस घनवटी के प्रयोग से वायुजन्य सभी रोग जैसे की आमवात, संधियों की सूजन, वातरक्त (गाउट), सिर दर्द, मानसिक अव्यवस्था, कमर दर्द, आदि रोग मिट जाते हैं| विशेषकर सायटिका और शरीर की जकड़न में इस घनवटी का सफलता पूर्वक प्रयोग होता है| 
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