बेकाबू क्रोध है मनोरोग /Uncontrollable anger is psychiatric


       बेकाबू क्रोध है मनोरोग /Uncontrollable anger is psychiatric
                                      

     खुशी व गम की तरह क्रोध भी हमारी भावनावों को व्यक्त करने का एक जरिया है| जब स्वम पर हमारे विवेक का पूर्ण नियंत्रण होता है, तो हम अपनी खुशी, गम और यहाँ तक की क्रोध भी नियंत्रित रूप से स्थितियों के अनुरूप ही व्यक्त करते हैं| कहने का आशय यह है की एक विवेकपूर्ण व्यक्ति को पता होता है कि  उसे कहाँ कितनी खुशी जाहिर करनी है और किसके सामने रोना है या किस स्थिति में कितना रोना है| जब हमारी भावनावों पर स्वम के विवेक का नियंत्रण नहीं होता है, तब व्यक्ति के स्वभाव मे एक विकृति पैदा हो जाती है, जिसे मनोचिकित्सकीय भाषा मे भावनात्मक अस्थिरता कहते हैं| ऐसे व्यक्ति बाहरी तौर से अपने मन के अनुसार माहौल मे तो बड़े शालीन, सभ्य व शांत प्रतीत होते हैं, लेकिन किसी भी विपरीत परिस्थिति ( जो उनके मन के अनुसार नहीं है ) में अचानक गंभीर रूप से क्रोधित होकर अपना आपा खो बैठते हैं और तुरंत मारपीट व तोडफोड पर भी आमादा हो जाते हैं|
             
         बेकाबू क्रोध के लक्षण/Symptoms of uncontrollable anger

    1)- कोई भी बात मन के अनुसार न होने पर रोगी को उलझन हो जाती है
और चाह कर भी वह उस बात को भूल नहीं पाता है|
    2)- रोगी के मन के विपरीत किसी भी बात को मना करने पर या समझाने की कोशिश करने पर वह गंभीर रूप से क्रोधित हो जाता है और बहस करने लगता है|
   3)- रोगी भावनावों के नियंत्रण के अभाव मे शांत नहीं हो पाते हैं और छोटा-बड़ा, अपना-पराया व सम्बन्धों की परवाह किए बगैर गंभीर रूप से दूसरे व्यक्ति पर क्रोध करने लगते हैं|
   4)- दूसरा व्यक्ति यदि मनोरोगी को जवाब देता है,
तुरंत ही रोगी हाथा-पाई पर उतर आता है| रोगी तोड़ना-फोड़ना शुरू कर देता है|
   5)- रोगी ऐसे मे अपने हाथ व सिर को दीवार से टकरा सकते हैं और अक्सर ब्लेड या चाकू से अपनी कलाई भी चीर लेते हैं| तथा गुस्सा शांत होने पर रोगी अपने मन ही मन अपने किए पर पछताते हैं|
  6)- रोगी को अक्सर लगता है की वह जितना दूसरों के लिए करता है, उतना दूसरे उसके लिए नहीं करते|
  7)- लगातार उलझन व तैश के चलते रोगी
शराब व नींद की गोलियों व अन्य प्रकार  का नशा करने लगते हैं|
  8)- रोगी ऐसे विस्फोटक स्वभाव के चलते बार-बार उलझन व हाथा-पाई की वजह से अपने माँ-बाप व परिजनों के साथ नहीं रह पाता| रोगी विवाह के बाद भी अपने परिवार व पत्नी के साथ संबंध विगाड़ लेते हैं|
                       बेकाबू क्रोध का इलाज
Cure of uncontrollable anger
  
  1)- चूंकि बेकाबू क्रोध रोगी का सामाजिक व व्यावसायिक जीवन पूर्णतः नष्ट कर देता है ऐसे मे उसका इलाज करना अनिवार्य हो जाता है, इलाज मे मनोचिकित्सा व दवाओं स्थान प्रमुख है|
   2)- मनोचिकित्सा के दौरान रोगी को भावनात्मक अस्थिरता,
उलझी बातों से न उबर पाना और मन के विपरीत हर बात को गलत मानना जैसी बुनियादी खामियों को पहचानने के लिए प्रेरित किया जाता है| इसके बाद रोगी ऐसे दोषपूर्ण व्यवहार से बाहर निकलने की सही विधि का अभ्यास करते हैं|
  3)- इस रोग मे परिजनों को भी सलाह दी जाती है| रोगी से क्या बात करनी है क्या नहीं करनी, ये सारी बातें मनोचिकित्सक समझाते हैं|
  4)- रोगी को नशे से मुक्ति का भी इलाज किया जाता है|
  5)- मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह पर ली गई
दवाओं की सहायता से ऐसे गंभीर व अनियंत्रित क्रोध पर कारगर रूप सेकाबू किया जा सकता है|     
 अतः यदि क्रोध बेकाबू हो तो यह एक मनोरोग है, जिसे मनोविशेषज्ञ द्वारा दी गई सलाह को फॉलो कर तथा दवाओं द्वारा बिलकुल ही ठीक किया जा सकता है| 
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