Good or bad intake of Artificial Sugar/कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) का सेवन अच्छा या बुरा
Good or bad intake of Artificial Sugar
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और बढ़ते वजन ने पिछले कुछ समय में कृत्रिम मिठास (Artificial शुगर) की मांग को बढ़ाया है| समस्या यह है विभिन्न मेडिकल शोधों में कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) के संबंध में आम सहमति नहीं बनती| कुछ शोध जहाँ इससे होने वाले फ़ायदों के प्रति विश्वास करते हैं तो अन्य शोध इससे दूर ही रहने को बोल रहे हैं| मैंने बाजार में उपलब्ध कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) के विकल्पों के लाभ और जुड़ी समस्याओं को समझने की कोशिश की है|
बाजार में कई प्रकार की कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) उपलब्ध हैं, जिन्हें चीनी के विकल्प के रूप में पेश
किया जा रहा है| आइए yourghareluilaaj.blogspot.com में जानते हैं कि इनके संबंध में शोधों का क्या मत है-
एस्पारटेम
एस्पारटेम एक कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) है| यह कृत्रिम चीनी देखने मे सफ़ेद रंग की होती है| इसमें कोई महक नहीं होती और यह आम चीनी से 200 गुना अधिक मीठी होती है| वैसे तो यह सबसे ज्यादा बिकने वाला स्वीटनर है, पर ज्यादा तापमान पर अगर इसे बेक किया जाए तो ये अपनी मिठास खो देता है| हालांकि विभिन्न शोधों में एस्पारटेम को बालों के झड़ने, मधुमेह, वजन बढ़ने और कैंसर जैसे रोगों से जोड़कर पेश किया जाता है| हालांकि इसे यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन या एफडीएफ की ओर से स्वीकृति दे दी गई है|
सैक्रीन
सैक्रीन भी एक
कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) है| चीनी की जगह सैक्रीन का स्तेमाल लगभग 100 साल
पुराना है| यह सिंथेटिक चीनी असली चीनी से 300 गुना अधिक
मीठी होती है| इसका स्वाद असली चीनी से थोड़ा अलग होता है| खाते समय तो यह मीठी लगती है, पर बाद मे हल्के
कड़वेपन का स्वाद आने लगता है| चूंकि इससे शरीर में ब्लड शुगर
का स्तर नहीं बढ़ता, इसलिए मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद
बताते हुए इसे प्रचारित किया जाता है| हालांकि इसका असर
त्वचा पर एलर्जी से लेकर डायरिया की आशंका के रूप में देखने को मिलता है| यूएस विभाग ने इसे सन 2000 में कैंसर कारक रसायनों की सूची से हटा लिया
है, पर रैशेज और डायरिया के कारण इसके अधिक सेवन से बचना
चाहिए|
सूक्रोज
सूक्रोज भी एक कृत्रिम मिठास (Artificial Sugar) है| इसे टेबल शुगर के नाम से भी जानते हैं| यह कृत्रिम
चीनी गन्ने और चुकंदर जैसे प्रकृतिक पदार्थों से बनाई जाती है| प्रोसेस्ड सूक्रोज़ में 5% हिस्सा ग्लूकोज का होता है| इसकी एक चम्मच में 16 कैलोरी होती है| एक औसत
स्वास्थ्य वाले पुरुष को 7 छोटी चम्मच और महिलावों को 6 चम्मच से अधिक सूक्रोज़ का
सेवन नहीं करना चाहिए| हालांकि औसत सोडे की बोतल में 9 से 11
छोटी चम्मच सूक्रोज़ होता है|
सुक्रालोज
सुक्रालोज भी एक कृत्रिम मिठास है| सुक्रालोज को 1988 में एफडीए से
स्वीकृति मिल चुकी है| यह एक तरह से शुगर का विकल्प है, जिसकी मिठास अधिक तापमान पर भी बनी रहती है| और इसे
बेकिंग में भी स्तेमाल किया जा सकता है| यह सूक्रोज़ की तुलना
में 600 गुना अधिक मीठी होती है| हालांकि यह सूक्रोज़ से ही
बनती है, पर दोनों में अंतर यह है कि इसमें हाइड्रोजन, ऑक्सीज़न समूहों के साथ क्लोरीन भी मौजूद होती है|
इसके सेवन का एक बड़ा नुकसान यह है कि इससे फायदेमंद बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते
हैं| मेरी राय में यह दूसरे विकल्पों की तुलना में सुरक्षित
है, पर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को इसके सेवन से बाचना
चाहिए|
शुगर अल्कोहल
इसके नाम पर मत जाइए| इससे कोई नशा नहीं होता| यह भी एक कृत्रिम मिठास है| लेकिन यह हमारी सेहत के
लिए सही भी नहीं है| इसमे हमारी आंत में घुल जाने की क्षमता
होती है, जिससे गैस और डायरिया जैसी बड़ी बीमारियाँ होने का
खतरा होता है| साथ ही इसमे थोड़ा कार्बोहाइड्रेट भी होता है, जिससे अधिक खाने से खून में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है| वैसे थोड़ी मात्रा में ये कई पौधों में भी पाया जाता है| हमारी राय में थोड़ी मात्रा में इसका सेवन किया जा सकता है|
Comments
Post a Comment